रविवार, 18 सितंबर 2016

जय गुरुदेव नाम प्रभू का

जो व्यक्ति काल के विरुद्ध खड़ा होता है, उसे चतुर्दिक से आघात सहने पड़ते हैं, सम्पूर्ण अस्तित्व को मिटा देने वाले आघातों से जब वह अक्षय शेष रह जाता है, तो जनमानस इस अनुमान से उसकी और दौड़ पड़ता है, कि उसमें कुछ असाधारण अवश्य है। उसके विषय में तरह तरह की किंवदन्ती बनने लगतीं है, निरन्तर वह असाधारण होता जाता है, यहाँ तक कि उसे ईश्वरीय अवतार भी मान लिया जाता हैं।

                                             राज.........

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें